अधिकार मांग-पत्र: विकलांगता न्याय कार्य के लिए आह्वान
“आइए अपनी स्वतंत्रता और मूलभूत मानवाधिकारों पर समझौता न करने की शुरुआत करें।”
2019 में 45.84 लाख से बढ़कर 2024 में 88.35 लाख पंजीकृत दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांग/विकलांग मतदाताओं में 93.5% की वृद्धि) के बावजूद, दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्तियों की आवाज़ और चिंताएँ राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक-आर्थिक चर्चा में बड़े पैमाने पर उपेक्षित हैं। एक मतदान समूह के रूप में दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्तियों के पास विशाल अप्रयुक्त क्षमता है जिनके मुद्दों को सभी के लिए समावेशी और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों और सरकारों द्वारा संबोधित किए जाने की प्रतीक्षा है।
भारत और विश्व स्तर पर समाज के सबसे ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले और पिछड़े वर्गों में से एक होने के नाते, दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्ति मुख्यधारा की कहानी और शासन प्रतिरूप/मॉडल से अनुपस्थित हैं। अतः, अब समय आ गया है कि दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्तियों की स्वतंत्रता और आधारभूत/मौलिक मानवाधिकारों पर कोई समझौता न किया जाए, और इसलिए, हम राजनीतिक दलों के साथ-साथ सरकारों से भी हमारी उचित मांगों पर शीघ्र संज्ञान लेने का अनुरोध कर रहे हैं।
हम स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा के साथ जीवन जीने और दिव्यांगजन/विकलांग व्यक्तियों के पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष) को आगे बढ़ाने के लिए आधारभूत/मौलिक मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अपने दस आवश्यक बिंदुओं पर कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं ताकि विकलांगता न्याय और एक ऐसे भारत की परिकल्पना सुनिश्चित किया जा सके जो अपने ‘अमृत काल’ में ‘किसी को भी पीछे न छोड़े’ और अक्षरश: और भावना दोनों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूल्य का परिपालन और कार्यान्वित करें।
हमारे ‘अधिकार मांग-पत्र: विकलांगता न्याय कार्य (कॉल-टू-एक्शन) के लिए आह्वान’ में दस विशिष्ट सूची इस प्रकार हैं:
1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन और निषिद्ध भेदभाव के आधार के रूप में “विकलांगता/दिव्यांगता” को शामिल करना।
2. भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत/अंतर्गत विकलांग/दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन।
3. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (आरपीडब्ल्यूडी एक्ट, 2016) का विधायी प्रभाव आकलन और नागरिक चार्टर/राजलेख।
4. वर्गीकृत आंकड़े के लिए आवधिक राष्ट्रीय विकलांगता/दिव्यांगजन जनगणना और तात्कालिक/वास्तविक समय अनुपथक/ट्रैकर डैशबोर्ड/नियंत्रण-पट्ट।
5. ऐतिहासिक उपेक्षा और पिछड़ेपन से निपटने के लिए विकलांग/दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आनुपातिक बजटीय प्रावधान/आवंटन।
6. जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी), 2008 के तहत/अंतर्गत जलवायु परिवर्तन और कमजोर/असुरक्षित समुदायों पर राष्ट्रीय मिशन का गठन।
7. सुगम्य भारत अभियान 2.0 [एक्सेसिबल इंडिया कैंपेन 2.0] की शुरुआत बड़ी दूरदर्शिता और बड़े लक्ष्यों के साथ।
8. सार्वभौमिक रूप-रेखा/रचना (यूनिवर्सल डिजाइन) और सुगम्यता पर अनुसंधान और विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना।
9. वहनयोग्य/किफायती अनुकूली/सहायक प्रौद्योगिकी और उपकरण, बीमा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज/व्याप्ति तक सभी के लिए पहुंच।
10. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जलवायु अनुकूल और सार्वभौमिक रूप से सुलभ और सुगम्य आवास।
हम राजनीतिक दलों के संदृत्य/भविष्यदृष्टि प्रलेख/दस्तावेज़ (आगामी चुनावी घोषणापत्र) और सभी संबंधित सरकारों के कार्यों में त्वरित और सकारात्मक प्रतिक्रिया (हमारे ‘अधिकार मांग-पत्र: विकलांगता न्याय कार्य के लिए आह्वान’ से प्रस्ताव/सुझाव शामिल/समावेश करके) की आशा करते हैं। धन्यवाद ।
English Version. Translated by Adv. Abhishek Kumar | अधिवक्ता अभिषेक कुमार द्वारा अनुवादित ।
Charter of Demands: Call to Action for Disability Justice [अधिकार मांग-पत्र] — Sign the Petition! https://chng.it/qrHRJRpKRh via Change.org
संयोजक
अधिवक्ता अभिषेक कुमार, संस्थापक और क्यूरेटर, द संज्ञान और एनसीपीईडीपी-जावेद आबिदी फेलो ऑन डिसेबिलिटी [2021–24] linktr.ee/sangyan | abhishek.ncpedp@gmail.com
वास्तुकार काव्या पूर्णिमा बालाजेपल्ली, संस्थापक और क्यूरेटर, पूर्णमिदम और एनसीपीईडीपी-जावेद आबिदी फेलो ऑन डिसेबिलिटी [2021–24] linktr.ee/poornamidam | kavyapoornima.ncpedp@gmail.com